सवाल
तेरे सवाल, मेरे सवाल कुछ सीधे, कुछ संझे हुए कुछ कच्चे, कुछ मंझे हुए पूछे जाने की बाट जोहते, पंक्तिबद्ध खड़े, बेचैन सवाल उन सवालों पर भी सवाल उनके जवाबों पर भी सवाल थके मांदे, हारे पड़े, पूछे जाने से भयभीत, विचलित सवाल अतीत की छेडखानियों से लज्जित सवाल, कुछ मुर्झाये, कुछ बिखरे पड़े पलकों पे कुछ के दुखड़े जड़े क्या पूछ लेगा कब कोई, इस बात से चिंतित संकुचित सवाल हमारी कथनी-करनी, चाल-चरित्र सब पर सवाल अविश्वास के इस माहौल में, हाड़ मांस के हर प्राणी पर सवाल जो पूछ पाता मैं कभी, तो पूछता मैं बस यही सवालों पे हक फिर किसका जब मैं सवाल, जब तुम सवाल |