बँटवारा
इस आँगन में तेरा घर
उस आँगन में मेरा,
इस टहनी पर तेरे फूल
उस झुरमुठ पर मेरे,
मेरे फूल पुटुस के
तो तेरे फिर क्यूँ बेली |
इस बरगद में मेरी छाँव
उन फूलों की खुशबू तेरी,
इस पुर्वायी में मेरी साँसें
उन सन्नाटों में धड़कन तेरी,
इन मेढ़ों पर मेरी चाल
उस पगडंडी पर तेरी |
कुछ और बचा क्या बाबूजी का
जो अब तक हुआ न तेरा-मेरा |
हाँ बची है टूटे खटिये पे बाबूजी की लाश
पर उसका कैसा मोल,
बस यही अकेली लाश जिसको कोई ना लेना चाहे |
बाकी सब खेत, खलिहान, चारपाई,बिछावन
घड़ी, संदूक, बाबूजी की चश्में और लाठी तक के हो गए बटवारे |
नज़रें बिछी हैं उस लाश के नीचे
पड़ी उस खाट पर,
अभी तक किसी ने भी उस पर अपना हक नहीं जमाया |
आओ परदे गिरा दें इस सत्य आधारित नाट्य पे,
शायद गाँव वालों के जाने के बाद
उसका भी होना है बँटवारा |
उस आँगन में मेरा,
इस टहनी पर तेरे फूल
उस झुरमुठ पर मेरे,
मेरे फूल पुटुस के
तो तेरे फिर क्यूँ बेली |
इस बरगद में मेरी छाँव
उन फूलों की खुशबू तेरी,
इस पुर्वायी में मेरी साँसें
उन सन्नाटों में धड़कन तेरी,
इन मेढ़ों पर मेरी चाल
उस पगडंडी पर तेरी |
कुछ और बचा क्या बाबूजी का
जो अब तक हुआ न तेरा-मेरा |
हाँ बची है टूटे खटिये पे बाबूजी की लाश
पर उसका कैसा मोल,
बस यही अकेली लाश जिसको कोई ना लेना चाहे |
बाकी सब खेत, खलिहान, चारपाई,बिछावन
घड़ी, संदूक, बाबूजी की चश्में और लाठी तक के हो गए बटवारे |
नज़रें बिछी हैं उस लाश के नीचे
पड़ी उस खाट पर,
अभी तक किसी ने भी उस पर अपना हक नहीं जमाया |
आओ परदे गिरा दें इस सत्य आधारित नाट्य पे,
शायद गाँव वालों के जाने के बाद
उसका भी होना है बँटवारा |
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