मई दिवस पर
खाल खींच के जूता सील लें
कौनो नहीं कसूर
चार डंडा मार दिए पर
मजूरी दिए हुज़ूर
थाली चाटे पेट भरा तब
भोजन यों भरपूर
लिया डकार बौ बौ कर
शाबाशी दिए हुज़ूर
ख़ून खींच के खेत सींच दीह
कौनो नहीं कसूर
चार डंडा मार दिए पर
मजूरी दिए हुज़ूर
थाली चाटे पेट भरा तब
भोजन यों भरपूर
लिया डकार बौ बौ कर
शाबाशी दिए हुज़ूर
ख़ून खींच के खेत सींच दीह
फसल हुआ भरपूर
बोझा ढो ढो पीठ मुड़ गयी
कहीन यही दस्तूर
बीमारी में काम करे को
मलहम दिए हुज़ूर
काट दिए टाँग जड़ से
जब घाव बना नासूर
घोड़ा बने छोटे मालिक खातिर
बने गधा, लंगूर
हमर बच्चन बड़े हुए जब
उनका का कसूर
टीबी का खाँसी फूटा जब
घर से किये हमे दूर
बोझा ढो ढो पीठ मुड़ गयी
कहीन यही दस्तूर
बीमारी में काम करे को
मलहम दिए हुज़ूर
काट दिए टाँग जड़ से
जब घाव बना नासूर
घोड़ा बने छोटे मालिक खातिर
बने गधा, लंगूर
हमर बच्चन बड़े हुए जब
उनका का कसूर
टीबी का खाँसी फूटा जब
घर से किये हमे दूर
देख गरीबी आँसू फूटा
मुफत का ज़हर दिए हुज़ूर
मुफत का ज़हर दिए हुज़ूर
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