तुम आओगी न!
( नैनों-नक्श = facial features, नर्गिसी = resembling Daffodil flower)
याद है तुम्हें
कुछ क्यारियाँ खींची थी तुमने
बागीचे में गुलमोहर के पेड़ तले
तुम्हारे नैनों-नक्श और खुश्बू वाले
नर्गिसी फूल उग आये हैं उनमें
पूछते हैं कई दफ़ा तुम्हारे बारे में
जिक्र सुनते हैं, बड़े मिजाज से
किसी शायर की ग़ज़लों की तरह
फरमाईशें करते हैं तुम्हें बुलाने की
ज़िद करते खिड़कियों पे चढ़ आते हैं कई बार
हवा के झोकों से शह लेकर,
फुसफुसा जाते हैं
"तुम भी बुलाओ न"
समझा पाता नहीं, रिश्ता वो नहीं अब
की तुम्हें पुकार सकूँ
तसल्ली होती है पर उन्हें भी, मुझे भी
गर मैं तुम्हें पुकारता हूँ
क्या आओगी तुम जो कभी वक़्त मिले
की ये फूल भी हठ कर बैठें हैं
तुम्हारे नैनों-नक्श और खुश्बू वाले फूल
उग आयें हैं तुम्हारी कब्र पे इस बार
तुम आओगी न!
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